अब बता, ये क्या है?
है अभी भी कोई ज़रूरत बे इन्तेहा, मारनें की हाथ पाँव?
फैलानें की पानें को कुछ?
या जोड़नें की इन्हें करनें को शुक्रिया ?
चल उठ, दूर ही से हिला दे प्यार से, खोल हर भिंची मुठ्ठी ।
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