Friday, May 23, 2014

दानें

बंद
मुटठी से
आज फिर
छिटक ही
गए
आँगन में
दस बीस
दानें,
फिर
भर गया
पेट
पाँच दस
परिंदों का,
आज
फिर
वो सारे
घोंसलों में
विश्वास से
सोये

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