लोहे की ज़ंजीरों से जकड़े रहे आपस में पहियों से, बंधुआ वो रिक्शे सारे, रात भर फुटपाथ पर,
सुबह चलायेंगे इन्हें वो बंधुआ सारे, राजपथ पर।
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