ठहर यहीं तू ज़िंदगी, आऊँगा तुम्हें लेने पाने मिलने जीने,
मरने से पहले।
अभी ज़रा ठहर, पहले भटक लूँ ढूँढने तुम्हें हिरन सा हर दिशा उठाए कोतुहल की नाभी ।
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