आज इत्तेफ़ाकन जन्नत की देखी तस्वीर तो गज़ब इत्मिनान ओ करार आया,
ख़ुदा तो उसमें भी न दिखा, मगर एक आसमान एक मेज़ एक किताब एक जाम पाया ।
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