गुज़र जा आँधी तूफ़ान की तरह ।
कम है बची जो हवा तेरे दमों में,
यूँ चलके मौज के दरख़्त तो हिला,
कहाँ कहाँ से गुज़रा था निशानी तो छोड़, यादों के कुछ पत्ते तो गिरा।
No comments:
Post a Comment