Tuesday, May 20, 2014

चौदह

दो
पत्थरों का
चूल्हा,
चार लकड़ियों
की आग,

छे टुकड़ों की
भात पर,
आठ मुट्ठी
अनाज।

दस घंटे की
रात भर,
बारह गज की
चादर में,
चौदह बरस
बनवास।

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