वो
सामनें
सड़क पर
किसके
एक पैर की
चप्पल
औंधी
पड़ी है?
कौन
गिरा है
रास्ते में,
मंज़िल से पहले,
बिना ठोकर,
किसके
पैरों के
नीचे से
ज़मीन
गई है!
ढूँढो
वो
खुशनसीब,
लौटाओ
उसे
उसकी
किस्मत
का
खोया जूता,
उसके
पैरों
अभी
है बाक़ी
उसका
सफ़र,
अभी
मंज़िल को
उसकी
कुछ
उम्र
पड़ी है !
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