आँखें तो होंगी उसी के पास, लेकर गया है साथ ही यहीं कहीं...
यहाँ तो हैं रखे मेज़ पर पीछे बस विचारों में डूबे एकाग्र चुप भीड़ में अकेले, लिए अकेलेपन की भीड़ उसकी ज़हन के चश्में ।
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