आओ
पढूँ
तुम्हें
उपन्यास
की तरह,
छूऊँ
तुम्हें
आखों से,
पकडूँ हाथ,
पलटूं तुम्हारे
पन्ने,
पढूँ तुम्हें,
बिताऊं
कुछ
एकाकी
पल
साथ
तुम्हारे,
एक ही
प्याला
चाय
दोनों को
मंगवाऊँ मैं।
आज
सुनूँ
जानूँ
समझूँ
तुम्हारी कहानी
तुम्हीं से
बैठ सामनें,
मिली है
फ़ुर्सत,
फिर
मिलूँ तुम्हें।
जी लूँ
तुम्हारा
जीवन
आखिरी सफ़े तक
सारा
आज ही,
तुम्हारी
कहानी
आज
अपनी
बना लूँ मैं।
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