Sunday, May 18, 2014

कुर्ता

कुर्ते सा
ज़हन
अच्छा
लगता है,

कुछ
चिपकता है
कफ़न सा,
कुछ
दूरी
ख़ुदा सी
रखता है।

रखता है
सम्भाल
जेब के नीचे
धड़कता
एक दिल,
बगलों
की गहराइयों में
कागज़ों
के पुर्जे,
एक कलम
रखता है।

खुली
आस्तीनों
में रखता है
सैकड़ों
कहानियाँ,
गले के
काजों में
टाँग
कवितायेँ
हज़ार
रखता है,

कुर्ते सा
ज़हन
अच्छा
लगता है।

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