साँसों की तितलियाँ
Tuesday, May 27, 2014
इस ओर
दिनों के
टापुओं
के बीच
रात का
दरिया
गहरा कितना...
डूब गए
कितनें
फ़िक्र
तैर
आनें की
फ़िराक में
इस ओर।
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